
30 दिनों के अंतराल में 3 ग्रहण (Eclipse) लगेगें जिसमें 2 चंद्रग्रहण (Lunar Eclipse) होंगे और एक सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse)
जून (June) और जुलाई (July) का महीना खगोलीय घटनाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इन दोनों महीनों में होने वाली खगोलीय घटनाओं पर दुनिया भर के वैज्ञानिकों और ज्योतिष शास्त्र के विद्वानों की नजरें लगी हुई हैं क्योंकि इन ग्रहणों का भारी असर देखा जाएगा. 30 दिनों के अंतराल में तीन ग्रहण (Eclipse) लगेगें जिसमें दो चंद्रग्रहण (Lunar Eclipse) होंगे और एक सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse). अमर उजाला में छपी खबर के अनुसार 5 जून को चंद्रग्रहण फिर 21 जून को सूर्यग्रहण लगेगा. इसके बाद 5 जुलाई को फिर चंद्रग्रहण होगा. चंद्रग्रहण 5 जून को ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा के दिन होगा जबकि 21 जून को सूर्य ग्रहण आषाढ़ माह की अमावस्या पर होगा और 5 जुलाई को चंद्रग्रहण आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि पर लगेगा.
आने वाले एक माह में तीन ग्रहण शुभ नहीं हैं। पांच जून से लेकर पांच जुलाई के बीच दो चंद्र और एक सूर्य ग्रहण शुभ नहीं माना जा रहा है। ज्योतिष विद्वानों का मत है जब भी एक माह में दो से अधिक ग्रहण होते हैं तो परिणाम शुभ नहीं होता है। ऐसे में खरमंडल की स्थिति में पूजा अनुष्ठान से ही प्रतिकूल स्थिति को मात दी जा सकती है।
ज्योतिष विद्वानों का कहना है कि एक माह में तीन ग्रहण से देश में कई तरह की समस्या हो सकती है। ग्रहण 5 जून से है। रात 11.15 बजे समाप्ति होगी। 6 जून को 2.34 बजे चंद्र ग्रहण है जिसमे शुक्र वक्री और अस्त रहेगा। गुरु शनि वक्री जैसे तीन ग्रह वक्री रहेंगे, जिसके कारण प्रभाव भारत की अर्थव्यवस्था पर होगा। शेयर बाजार से जुड़े हुए लोग सावधान रहें। यह ग्रहण वृश्चिक राशि पर बुरा प्रभाव डालेगा। किसी ख्यातिप्राप्त व्यक्ति की रहस्यात्मक मौत भी हो सकती है। परिवार में वाद विवाद का सामना करना पड़ सकता है।
5 जून और 5 जुलाई को चंद्रग्रहण
5 जून को लगने वाला चंद्रग्रहण भारत समेत यूरोप, एशिया, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप में दिखाई देगा. रात के 11 बजकर 16 मिनट से ग्रहण शुरू हो जाएगा जो अगले दिन यानी 6 जून की सुबह 2 बजकर 32 मिनट तक रहेगा. 12 बजकर 54 मिनट पर पूर्ण चंद्रग्रहण होगा. इस चंद्रग्रहण की कुल अवधि 3 धंटे 15 मिनट की होगी. इसके बाद 5 जुलाई को भी चंद्रग्रहण लगेगा लेकिन ये दोनों ग्रहण मांद्य ग्रहण हो जिस कारण से इनका किसी भी राशि पर कोई असर नहीं होगा.
21 जून-सूर्य ग्रहण
5 जून को चंद्रग्रहण लगने के बाद 21 जून को खंडग्रास सूर्य ग्रहण होगा. यह ग्रहण भारत में दिखाई देगा. भारत के अलावा यह सूर्यग्रहण एशिया, अफ्रिका और यूरोप में दिखाई देगा. यह सूर्य ग्रहण मृगशिरा नक्षत्र और मिथुन राशि में लगेगा. ग्रहण सुबह 10 बजकर 14 मिनट से 1 बजकर 38 मिनट तक रहेगा. ग्रहण का सूतक काल 20 जून की रात 10 बजकर 14 मिनट से आरंभ हो जाएगा.
ग्रहण का फल
ज्योतिष के अनुसार ग्रहण के समय मंगल ग्रह मीन में गोचर होकर सूर्य, बुध, चंद्रमा और राहु को देखेंगे जिसके परिणाम शुभ नहीं माने जा रहे हैं. वहीं ग्रहण के समय शनि, गुरु, शुक्र और बुध वक्री स्थिति में होंगे. राहु और केतु की चाल उल्टी ही रहती है. ऐसी स्थिति में 6 ग्रह वक्री होने से दुनिया भर में हलचल की स्थिति बन रही है. सीमा विवाद और आपसी तनाव की स्थिति बन रही है. प्राकृतिक आपदाओं के लिए भी यह स्थिति शुभ नहीं है. ज्योतिषीय गणना के अनुसार साल का पहला सूर्य ग्रहण 21 जून अर्थात आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन मिथुन राशि और मृगशिरा नक्षत्र में लगेगा. मिथुन राशि पर सूर्य ग्रहण का सबसे ज्यादा प्रभाव देखने को मिलेगा.
ये रहेगा प्रभाव
पंडित वैभव के अनुसार ग्रहण के समय बनने वाली ग्रह स्थिति से आने वाले 3 से 6 महीनों के राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और मौसम संबंधी भविष्यवाणियां करने की भारत में सदियों पुरानी परंपरा रही है। इसमें बताया गया है कि जब भी किसी एक महीने में दो से अधिक ग्रहण पड़े और पाप ग्रहों का भी उस पर प्रभाव रहे तो वह समय जनता के लिए कष्टकारी होगा।
तीनों ग्रहणों में से पहले दो ग्रहण, जो कि आषाढ़ कृष्ण पक्ष में पड़ेंगे, वह भारत में दृश्य होंगे। अंतिम ग्रहण जो कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष में है वह भारत में दिखाई नहीं देगा। इन ग्रहणों का मिथुन और धनु राशि के अक्ष को पीड़ित करना अमेरिका और पश्चिम के देशों के लिए विशेष रूप से अशुभ होगा। विश्व के लिए 21 जून का सूर्य ग्रहण बेहद संवेदनशील है। मिथुन राशि में होने जा रहे इस ग्रहण के समय मंगल जलीय राशि मीन में स्थित होकर सूर्य, बुध, चंद्रमा और राहु को देखेंगे जिससे अशुभ स्थिति का निर्माण होगा। इसके अलावा ग्रहण के समय 6 ग्रह शनि, गुरु, शुक्र और बुध वक्र होंगे। राहु केतु हमेश वक्र चलते हैं इसलिए इनको मिलकर कुब 6 ग्रह वक्री रहेंगे, जो शुभ फलदायी नहीं है। इस स्थिति में संपूर्ण विश्व में बड़ी उथल-पुथल मचेगी।
इस समय इन बड़े ग्रहों का वक्री होना प्राकृतिक आपदाओं जैसे अत्यधिक वर्षा, समुद्री चक्रवात, तूफान, महामारी आदि से जन-धन की हानि कर सकता है। भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका को जून के अंतिम सप्ताह और जुलाई में भयंकर वर्षा एवं बाढ़ से जूझना पड़ सकता है। ऐसे में महामारी और भोजन का संकट इन देशों में कई स्थानों पर हो सकता है। मंगल जल तत्व की राशि मीन में पांच माह तक रहेंगे ऐसे में वर्षा काल में आसामान्य रूप से अत्यधिक वर्षा और महामारी का भय रहेगा। ग्रहण के समय शनि और गुरु का मकर राशि में वक्री होना इस बात की आशंका को जन्म दे रहा है कि चीन के साथ पश्चिमी देशों के संबंध बेहद खराब हो सकते हैं।
भारत के पश्चिमी हिस्सों में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान में राजनीतिक उठा-पटक चिंता का कारण बनेगी तथा हिंद महासागर में चीन की गतिविधयों से तनाव बढ़ेगा। शनि, मंगल और गुरु इन तीनों ग्रहों के प्रभाव से विश्व में आर्थिक मंदी का असर एक वर्ष तक बना रहेगा।
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