
भृंगराज के फायदे – आयुर्वेद में भृंगराज को केसराज के नाम से भी जाना जाता है। इसे वर्षों से झड़ते बालों को रोकने, बालों को काला करने एवं त्वचा संबंधी बीमारी के उपचार के रूप प्रयोग किया जा रहा है। वास्तव में भृंगराज (एक्लीप्टा अल्बा) एक जड़ी बूटी है, जिसका काम शरीर को स्वस्थ बनाए रखना है।
भृंगराज के फायदे :
भृंगराज के सेवन के अनेक फायदे हैं। त्वचा के कटने, छिलने एवं घाव आदि में असरदायकः औषधीय गुण के कारण भृंगराज (bhringraj uses in Hindi) त्वचा संबंधी विकारों जैसे- त्वचा के कटने, छिलने, घाव होने या चोट में काफी असरदायक होता है।
इम्युनिटी क्षमता बढ़ाने में मदद:
यह शरीर की प्रतिरक्षा शक्ति को मजबूत बनाने वाली कोशिकाओं (सफेद रक्त कोशिकाओं) के उत्पादन में सहायता करता है। यह हमारे शरीर को संक्रमण से बचाने वाली सफेद रक्त कोशिकाएं (डब्लूबीसी) को बढ़ाने का काम करता है।
कफ एवं वात विकार में फायदेमंद : भृंगराज के फायदे
भृंगराज के अंदर पोषक तत्व होता है जो कफ एवं वात विकार को कम करने का काम करता है।
लीवर एवं किडनी संबंधी विकार में मदद भृंगराज को फाल्स डेज़ी भी कहा जाता है। यह लीवर के साथ-साथ किडनी के लिए भी फायदेमंद होता है। इसके जड़ का प्रयोग शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों को बाहर निकालने और शारीरिक कार्यप्रणाली को गतिशील रखने के लिए किया जाता है।
फैटी लीवर और पीलिया आदि में भी फायदेमंद :
इसके अंदर एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लैमटेरी गुण होता है। जो फैटी लीवर, पीलिया आदि जैसी बीमारी में फायदा पहुंचाता है।
सेवन विधि: आप एक दिन में दो बार भृंगराज की खुराक ले सकते हैं। आप हल्का खाना खाने के बाद भृंगराज के पाउडर को पानी के साथ ले सकते है। अच्छे परिणाम के लिए इसका सेवन कम से कम 1-2 महीने तक करें।
त्वचा के संक्रमण का इलाज:
भृंगराज एक जड़ी बूटी है जिसमें एंटी-इंफ्लामेंटरी होता है। यह त्वचा को संक्रमण से सुरक्षित रखता है।
सेवन विधिः त्वचा के कटने, छिलने, चोट लगने सहित अन्य विकार की स्थिति में भृंगराज की पत्तियों का पेस्ट बनाकर लगाएं या इस पेस्ट को किसी तेल में मिलाकर घाव अथवा चोट वाले स्थान पर लगाएं।
अपच, कब्ज एवं पेट संबंधी अन्य परेशानी में फायदेमंद :
अपच, कब्ज एवं पेट संबंधी अन्य परेशानी में फायदेमंद इसके अंदर रहने वाला एंटी-इंफ्लमैटरी तत्व लीवर को स्वस्थ रखकर, पेट की कार्यप्रणाली को सुगम बनाने का काम करता है, जिससे आंत सुचारू रूप से कार्य करता है और अपच, कब्ज और पेट की अन्य परेशानियों से राहत मिलती है। यह शरीर में होने वाली सूजन को रोकने में भी फायदेमंद होता है।
भूख की कमी, एसिडिटी में असरदायक आयुर्वेद के अनुसार भृंगराज पाचन, कब्ज और भूख की कमी जैसी परेशानियों के इलाज में भी उपयोगी होता है।
सेवन विधिः इसके लिए आप 15-20 मिलीलीटर भृंगराजासव लें और इतना ही पानी के साथ, दोपहर और रात को खाने के बाद लें।
भृंगराज के उपयोग की विधि :
आप भृंगराज का सेवन कई तरीके से कर सकते हैं। अच्छी बात यह है कि भृंगराज को डॉक्टर की पर्ची या बिना पर्ची के भी खरीदा जा सकता है, लेकिन बेहतर होगा कि आप किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श के बाद ही इसका सेवन करें।
भृंगराज के तेल, पाउडर या पेस्ट गंजेपन, बालों के झड़ने, असमय बालों के पकने आदि समस्याओं में राहत पहुंचाता है। इसे सप्ताह में दो से तीन बार बालों में लगाना चाहिए और बेहतर परिणामों के लिए, कम से कम 4 से 6 महीने तक लगातार उपयोग करना चाहिए।
भृंगराज के पाउडर का इस्तेमाल :
½ to 1 चम्मच भृंगराज पाउडर लें। इसमें नारियल का तेल मिला लें और बालों की जड़ों में लगाकर मसाज करें। इसके बाद बालों को एक या दो घंटों के छोड़ने के बाद किसी हर्बल शैंपू से धो लें। ऐसा सप्ताह में तीन बार करें।
भृंगराज तेल का इस्तेमाल :
भृंगराज का थोड़ा-सा तेल लें, और उसे बालों की जड़ों पर लगाकर रात भर के लिए छोड़ दें। सुबह किसी हर्बल सैंपू से धो लें। ऐसा सप्ताह में तीन बार करें।
बालों के लिए भृंगराज तेल के 5 फ़ायदे
आयुर्वेद में प्राकृतिक औषधि के हज़ारों ऐसे नायाब नुस्ख़े छुपे हुए हैं, जो आपके शरीर, बालों और त्वचा के संपूर्ण स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिहाज़ से आश्चर्यजनक और अद्भुत नतीजे देते हैं. असंख्य फ़ायदोंवाला भृंगराज या भृंगा तेल, एक ऐसी ही प्राचीन औषधि है, जिसका प्राचीन काल से ही बालों और स्कैल्प की त्वचा को सेहतमंद रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है. आयुर्वेद में इसे केशराज कहा जाता है यानी बालों का राजा. इस जादुई हर्ब को फ़ॉल्स डेज़ी नाम से भी जाना जाता है. यह सूर्यमुखी परिवार से संबंधित है.
इसे भारत, थाईलैंड, नेपाल और ब्राज़ील जैसे आर्द्र व उष्ण कटिबंधीय इलाक़ों में उगाया जाता है. भृंगराज तेल में भृंगराज के पौधे (इक्लिप्टा एल्बा) के सत्व और प्राकृतिक कैरियर ऑयल (आमतौर पर तिल या नारियल का तेल) का कॉम्बिनेशन होता है. बालों के बेहतरीन होने के साथ ही कहते हैं कि भृंगराज तेल आपके लिवर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. आइए, भृंगराज के फायदे के बारे में जानते हैं.
1. यह बालों की वृद्धि को प्रोत्साहित करता है:
आयुर्वेद के अनुसार, यह हर्ब स्कैल्प में रक्त संचार को बेहतर बनाता है और उसके साथ ही बालों की जड़ों में भी. पोषण युक्त रक्त संचार के चलते जड़ों की अच्छी वृद्धि होती है. कुछ प्रारंभिक शोधों के नतीजे बताते हैं कि इस पौधे के सत्व बालों की वृद्धि को प्रोत्साहित करते हैं. वर्ष 2009 में जर्नल ऑफ़ इथनाफ़ार्माकोलॉजी (एक मेडिकल जर्नल) में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक़, चूहों पर भृंगराज सत्व के साथ किए गए प्रयोग में यह निष्कर्ष सामने आया है कि इससे उनके बालों की वृद्धि तेज़ होती है. भृंगराज तेल हेयर फ़ॉलिकल्स को सक्रिय करता है, जिससे बालों की वृद्धि प्रोत्साहित होती है. इतना ही नहीं, यह बालों और स्कैल्प की सेहत को बेहतर बनाए रखता है.
2. यह स्कैल्प की सेहत को बनाए रखने में मदद करता है:
रूसी और स्कैल्प का रूखापन जैसी समस्याएं आपको खीझ दिला सकती हैं. रूसी और पपड़ीदार त्वचा से बाल तेज़ी से झड़ते हैं. भृंगराज तेल गाढ़ा होता है, जिसका मतलब है कि यह आसानी से स्कैल्प के अंदर तक चला जाता है, जिससे स्कैल्प के रूखेपन की समस्या से राहत मिलती है. इसके अलावा यह अपने ऐंटी-इन्फ़्लेमेट्री गुणों के लिए भी जाना जाता है, जिसके चलते इसे लगाने के बाद हेयर फ़ॉलिकल्स की सूजन कम होती है. रूखे बालों और स्कैल्प के लिए अपने स्कैल्प पर तेल डालें और सिर पर पांच मिनट के लिए गर्म तौलिया बांधें. गर्म तौलिया बांधने से बालों के क्यूटिकल्स खुल जाते हैं और सेबेसियस ग्लैंड्स सक्रिय हो जाते हैं. इससे तेल गहराई तक जा पाता है. रूसी की समस्या के समाधान के लिए थोड़ा-सा भृंगा तेल गर्म करें और रात को सोने से पहले अपने बालों पर लगाएं. अपनी उंगलियों के पोरों से मसाज करें और रातभर लगा रहने दें. अगली सुबह स्कैल्प पर नींबू का रस लगाएं और उसके बाद बालों को शैम्पू से धो लें.
3. यह बालों का झड़ना रोकता है: भृंगराज के फायदे
भृंगराज तेल अपने ठंडक प्रदान करनेवाले गुण के लिए जाना जाता है. इस तेल से सिर के नियमित मसाज से तनाव संबंधित हेयर लॉस से छुटकारा मिलता है. इसके अलावा यह हेयर फ़ॉलिकल्स को पुनर्जीवन प्रदान करता है और उनकी वृद्धि में सहायता करता है. इन गुणों के चलते यह बालों का झड़ना रोकने का प्राकृतिक समाधान कहलाता है. इस औषधि में महत्वपूर्ण पोषक तत्व भी हैं, जो उन मिनरल्स की कमी को पूरा करता है, जिनकी कमी के चलते बाल झड़ते हैं.
4. असमय बालों के सफ़ेद होने को रोकनाः
भृंगराज ऑयल आपके बालों के नैसर्गिक रंग को बनाए रखने में और असमय सफ़ेद हो रहे बालों को नियंत्रित करने में मदद करता है. मनचाहा नतीजा पाने के लिए नियमित रूप से तेल का इस्तेमाल करें. आंवला तेल में भृंगराज तेल मिलाएं और सोने से पहले इसे स्कैल्प पर मसाज करते हुए लगाएं. रातभर इसे लगाकर रखें और सुबह उठते ही बालों को धोएं. इसके पत्तों से तैयार किया गया ब्लैक डाइ, बालों को नैचुरल तरीक़े से कलर करता है.
5. बॉटल में जादू:
भृंगराज और उसके कई अनगिनत फ़ायदों को आप पा सकते हैं इंदुलेखा भृंगराज हेयर ऑयल में. इस यूनिसेक्स और आयुर्वेदिक औषधीय गुणों युक्त तेल में भृंगराज, श्वेत कुटजा, आंवला, नीम और अन्य अहम हर्ब्स होते हैं. इन सारे हर्ब्स को वर्जिन कोकोनट ऑयल में भिगोकर सात दिनों के लिए धूप में रखा जाता है. सूरज की शक्ति और हर्ब्स की क्षमता इस तेल को बालों की देखरेख के लिए एक अच्छा प्रॉडक्ट बनाती है. इसका चौड़े दांतोंवाला सेल्फ़ी कोम सीधे स्कैल्प पर तेल लगाता है. इससे तेल रूट्स तक पहुंच पाते हैं और बालों का झड़ना कम होता है व बालों की सेहत में सुधार आता है. बॉटल को हल्के-से दबाएं और सेल्फ़ी कोम की मदद से पूरे स्कैल्प पर तेल लगाएं. अब उंगलियों की मदद से सर्कुलर मोशन से स्कैल्प पर मसाज करें. इसका नियमित इस्तेमाल बालों की वर्तमान स्थिति, टेक्स्चर में सुधार लाता है और बालों का झड़ना कम करता है.
सेहत से जुड़ा इसका फ़ायदा
भृंगराज आयरन, विटामिन ई, मैग्नीशियम, कैल्शियम और विटामिन डी का अच्छा व समृद्ध स्रोत है. इसके अलावा भृंगराज का पौधा ऐंटीलेप्रॉटिक, ऐंटीहेमोरेजिक, एनैलजेसिक, ऐंटीहेप्टॉक्सिक, ऐंटीबैक्टीरियल, ऐंटीवायरल गुणों से युक्त होता है, जो यक़ीनन इसे एक जादुई हर्ब बनाता है.
Nice information