
कैल्शियम से भरपूर खाना हड्डियों और जोडों को हेल्दी बनाए रखने में अहम रोल निभाता है। यही नहीं, इसके साथ ही यह दातों को मजबूत बनाता है और रक्त कोशिकाओं को स्ट्रॉन्ग बनाता है। ब्लड को नियंत्रित करने और डायबिटीज़ से बचाने में भी कैल्शियम महत्वपूर्ण रोल निभाता है। ऐसा कुछ फिक्स नहीं है कि एक व्यक्ति को एक दिन में कितना कैल्शियम लेना चाहिए। यह अलग-अलग देश में अलग-अलग होता है, यहां तक कि व्यक्ति-व्यक्ति पर निर्भर करता है।
यदि शरीर में कैल्शियम की कमी हो जाती है तो हड्डियां कमज़ोर और नाज़ुक हो जाती हैं। इससे हड्डी टूटने का खतरा (फ्रेक्चर) अधिक रहता है। शरीर के लिए कैल्शियम की आवश्यक मात्रा इस प्रकार है: वयस्क तथा बुजुर्गों के लिए प्रतिदिन 1000-1300 मिग्रा., किशोरों के लिए प्रतिदिन 1300 मिग्रा., बच्चों के लिए प्रतिदिन 700-1000 मिग्रा, तथा एक वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए 250-300 मिग्रा. प्रतिदिन।
यह शरीर के विकास और मसल बनाने में भी सहायक होता है। हरी सब्जियां, दही, बादाम और पनीर इसके मुख्य स्रोत हैं। कैल्शियम की कमी को हायपोकैल्शिमिया भी कहा जाता है। यह तब होता है, जब आपके शरीर को पूरी मात्रा में कैल्शियम नहीं मिलता। अकसर लोग कैल्शियम की कमी होने पर कैल्शियम से भरपूर खाना और सप्लीमेंट्स लेना शुरू कर देते हैं, जो कि उनके सेहत के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं। स्वस्थ रहने के लिए लोगों को कैल्शियम के बारे में पूरी जानकारी होना जरूरी होता है, जिन लोगों की बॉडी में कैल्शियम की कमी हो, वे बिना डॉक्टर की सलह के किसी भी प्रकार के सप्लीमेंट्स न लें और न ही कोई दवा खाएं।
बढ़ती उम्र के साथ-साथ शरीर में कैल्शियम की मात्रा कम होती जाती है और शरीर का ज्यादातर कैल्शियम हड्डियों में ही होता है। उम्र बढ़ने के साथ हड्डियां पतली और कमजोर हो जाती हैं। ऐसे में शरीर को कैल्शियम की जरूरत पड़ती है। कैल्शियम के स्रोत वाली वस्तुएं खाते रहने से इसकी कमी पूरी की जा सकती है भूखे रहने, कुपोषण, हार्मोन की गड़बड़ी, प्रिमैच्योर डिलीवरी और मैलएब्जरेब्शन की वजह से भी कैल्शियम की कमी हो सकती है। मैलएब्जरेब्शन उस स्थिति को कहते हैं, जब हमारा शरीर उचित खुराक लेने पर भी विटामिन और मिनरल को सोख नहीं पाता। ऐसे में समय रहते ही डॉक्टर से परामर्श कर लें।
अब आपके दिमाग में एक ही सवाल आ रहा होगा, कि शरीर में कैल्शियम की कमी के क्या लक्षण होते हैं। कैसे पता लगेगा कि आपके शरीर में कैल्शियम की कमी है। तो आइए बताते हैं इसकी कमी के कुछ लक्षणः-
- मसल क्रैम्प : शरीर में होमोग्लोबिन की पर्याप्त मात्रा रहने और पानी की उचित मात्रा लेने के बावजूद अगर आप नियमित रूप से मसल क्रैम्प (मांस में खिंचाव या ऐंठन) का सामना कर रहे हैं तो यह कैल्शियम की कमी का संकेत है। यदि लोगों को मांसपेशियों में ऐंठन होता है, तो उन्हें इसे नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए क्योंकि यह कैल्शियम की कमी का लक्षण हो सकता है।
- लो बोन डेनस्टिी : जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, कैल्शियम हड्डियों की मिनरलेजाइशन के लिए जरूरी होता है। कैल्शियम की कमी सीधे हमारी हड्डियों की सेहत पर असर करती है और ऑस्टियोपोरोसिस और फ्रैक्चर का खतरा बढ़ सकता है।
- कमजोर नाखून : नाखून के मजबूत बने रहने के लिए कैल्शियम की जरूरत होती है, उसकी कमी से वह भुरभुरे और कमजोर हो सकते हैं। कैल्शियम की कमी होने का खतरा ऐसे लोगों में अधिक रहता है, जिनके नाखुन कमज़ोर होते हैं। ऐसे लोगों को अपने नाखुनों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है।
- दांत में दर्द : हमारे शरीर का 90 प्रतिशत कैल्शियम दांतों और हड्डियों में जमा होता है उसकी कमी से दातों और हड्डियों का नुकसान हो सकता है।
- मासिक धर्म में दर्द : कैल्शियम की कमी वाली महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान काफी तीव्र दर्द हो सकता है, क्योंकि मांसपेशियों के काम करने में कैल्शियम अहम भूमिका निभाता है।
- एम्युनिटी में कमी : कैल्शियम शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखता है। कैल्शियम की कमी होने पर शरीर में पैथगॉन अटैक से जूझने की क्षमता कम हो जाती है।
- नाड़ी की समस्याएं : कैल्शियम की कमी से न्यूरोलॉजिक्ल समस्याएं, जैसे कि सिर पर दबाव की वजह से सीजर और सिरदर्द हो सकता है। कैल्शियम की कमी से डिप्रेशन, इनसोमेनिया, पर्सनैल्टिी में बदलाव और डेम्निशिया भी हो सकता है।
- धड़कन : कैल्शियम दिल के बेहतर काम करने के लिए आवश्यक है और कमी होने पर हमारे दिल की धड़कन बढ़ सकती है और बेचैनी हो सकती है। कैल्शियम दिल को रक्त पम्प करने में मदद करता है।
- उंगलियों में झुनझुनी होना– कैल्शियम की कमी का प्रमुख लक्षण उंगलियों में झुनझुनी होना है। ऐसी स्थिति में लोगों को डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और इस बात की जांच करानी चाहिए कि ऐसा कैल्शियम की कमी की वजह से है अथवा नहीं।
- थकावट महसूस होना– किसी काम या एक्टिविटी करने के बाद थकावट होना आम चीज़ है, लेकिन जब लोगों को थोड़ा सा काम करने पर ही अधिक थकान होती है, तो यह चिंताजनक चीज़ होती है। ऐसी स्थिति में जल्द से जल्द हेल्थचेकअप कराना काफी जरूरी हो जाता है क्योंकि यह कैल्शियम की कमी का संकेत हो सकता है।
- भूख न लगना- कैल्शियम की कमी का अन्य लक्षण भूख न लगना भी है। हालांकि, लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते हैं, जिसकी वजह से उन्हें कैल्शियम की कमी जैसी बीमारी का शिकार होना पड़ता है।
- निगलने में कठिनाई होना- आमतौर पर, निगलने में कठिनाई होने को गले में खराश या फिर जुखाम से जोड़कर देखा जाता है,लेकिन कई बार यह कैल्शियम की कमी जैसी अन्य बीमारियों का लक्षण भी हो सकता है।
कैल्शियम की कमी के कारण क्या है? (Causes of calcium deficiency in Hindi)
- खून में प्रोटीन स्तर का कम होना- कैल्शियम की कमी होने का प्रमुख कारण खून में प्रोटीन स्तर का कम होना है।
ऐसा मुख्य रूप से तब होता है, जब किसी व्यक्ति के शरीर में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन नहीं जा पाता है। - अच्छी तरह से भोजन न करना- भागदौड़ भरी ज़िदगी में हमारे पास इतना भी समय नहीं होता है कि अच्छी तरह से भोजन कर पाए। इसी कारण, हमें काफी सारी बीमारियों का शिकार बना देती है।
अत: अच्छी तरह से भोजन न करना भी कैल्शियम की कमी का कारण बन सकता है। - दवाइयों का साइड इफेक्ट्स होना- अक्सर, कैल्शियम की कमी तब भी हो सकता है, जब लोगों को दवाइयों का साइड-इफेक्ट्स हो जाता है।
ऐसे लोगों को डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए ताकि वे कैल्शियम की कमी जैसी गंभीर बीमारी का शिकार न बन पाए। - हार्मोन का असामान्य तरीके से बदलना- यदि किसी शख्स के हार्मोन का असामान्य तरीके से बदलाव हो जाता है, तो उसे कैल्शियम की कमी होने की संभावना काफी ज्यादा बढ़ जाती है।
- जेनेटिक कारण होना- कैल्शियम की कमी की समस्या ऐसे लोगों को भी हो सकती है, जिनके परिवार में कोई अन्य सदस्य इस बीमारी से पीड़ित होता है।
ऐसे लोगों को समय-समय पर अपना हेल्थचेकअप कराने की जरूरत होती है, ताकि इस बात का पता चल सके कि उन्हें कैल्शियम की कमी की समस्या तो नहीं।
कैल्शियम की कमी की पहचान कैसे करें?
- मेडिकल हिस्ट्री देखना- कैल्शियम की कमी की पहचान करने का सबसे आसान तरीका मेडिकल हिस्ट्री देखना या फिर उसकी अच्छी तरह से जांच करना है। ऐसा करने से इस बात का पता चलता है कि अतीत में किसी व्यक्ति में कैल्शियम संबंधी कोई बीमारी तरह अथवा नहीं।
- ब्लड टेस्ट करना- मेडिकल हिस्ट्री की जांच करने के कैल्शियम की कमी की पहचान ब्लड टेस्ट के द्वारा भी की जा सकती है।
ब्लड टेस्ट के द्वारा इस बात की पुष्टि की जाती है किसी शख्स के शरीर में कैल्शियम की मात्रा कितनी है। - एल्युबिन टेस्ट करना- अक्सर, डॉक्टर कैल्शियम की कमी की पहचान एल्युबिन टेस्ट के द्वारा भी किया जाता है।
एल्युबिन मुख्य रूप से हड्डियों में मौजूद प्रोटीन है, जो कैल्शियम की गणना को बताता है। - हड्डियों की जांच करना- कैल्शियम की कमी की पहचान हड्डियों की जांच के द्वारा भी संभव है।
हड्डियों की जांच करके इस बात का पता लगाया जाता है कि किसी व्यक्ति की हड्डियों की गुणवत्ता (बोन डेंसिटी) कितनी कम है।
इन 5 चीजों को खाने से दूर होगी कैल्शियम की कमी
1. आंवला में एंटीऑक्सीडेंट के गुण पाए जाते हैं जो शरीर को इंफेक्शन से बचाए रखते हैं. इसके साथ ही इसमें कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. इसका जूस पीने से पूरे शरीर को लाभ मिलता है.
2. कैल्शियम की कमी को दूर करने के लिए तिल खाना भी बहुत फायदेमंद रहता है. एक टेबल स्पून तिल में लगभग 88 मिग्रा. कैल्शियम होता है. इसे अपने खाने का हिस्सा बनाएं जैसे सूप, सीरियल्स या सलाद में डालकर इसे खाया जा सकता है.
3. जीरा सिर्फ खाने का स्वाद ही नहीं बढ़ाता बल्कि यह सेहत के लिए भी बहुत लाभदायक है. एक गिलास पानी उबालें और उसमें एक टीस्पून जीरा मिलाएं. पानी को ठंडा कर लें और इस पानी को दिन में कम से कम दो बार पिएं. इससे शरीर में कैल्शियम की कमी दूर होगी.
4. गुग्गुल एक आयुर्वेदिक हर्बल है जो शरीर में कैल्शियम की कमी को दूर करता है. नियमित रूप से लगभग 250 मिग्रा. से 2 ग्राम तक गुग्गुल का सेवन करने से शरीर में कैल्शियम की कमी नहीं होती.
5. रागी एक प्रकार का अनाज होता है जिसमें कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. इसका सेवन आटे के रूप में किया जाता है. प्रतिदिन एक कप रागी का सेवन करने से शरीर का पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम मिलता है.
6- तिल कैल्शियम की कमी को दूर करने के लिए एक अच्छा उपचार है। एक टेबल स्पून में लगभग 88 मिग्रा. कैल्शियम होता है। इसे पीसकर पाउडर के रूप में भी खाया जा सकता है या इसे सूप, सीरियल्स या सलाद में मिलाकर भी खाया जा सकता है।
7- दूध कैल्शियम का सबसे उत्तम स्त्रोत है। एक कप गर्म दूध लें तथा उसमें एक चम्मच भुने हुए तिल का पाउडर मिलाएं। इसे अच्छे से मिलाएं तथा पीयें। इसे दिन में तीन बार पीने से अच्छे परिणाम मिलेंगे।
8- अदरक: एक गिलास पानी उबालें। इसमें अदरक के 1-2 टुकड़े डाले तथा कुछ देर तक उबालें। इसे छान लें तथा इसका स्वाद अच्छा बनाने के लिए इसमें अपने स्वाद के अनुसार शहद मिलाएं।
9- अश्वगंधा एक प्राचीन जडी बूटी है। यह अपने एंटीऑक्सीडेंट और प्रदह्नाशे गुणों के लिए जानी जाती है तथा शरीर में कैल्शियम की कमी को दूर करने में सहायक है।
10- दही में कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। प्रतिदिन एक कप दही का सेवन करने से शरीर के लिए आवश्यक कैल्शियम की पूर्ति हो जाती है। एक कप दही में 250-300 मिग्रा. कैल्शियम होता है।
सभी उपलब्ध उपचारों के अलावा प्राकृतिक घरेलू उत्पाद भी अच्छे उपचार हैं जो शरीर में कैल्शियम का स्तर बढ़ाने के लिए उत्तम होते हैं तथा ये कृत्रिम स्त्रोतों की तुलना में अधिक अच्छे माने जाते हैं। घरेलू उपचारों का एक लाभ यह है कि इसमें जडी बूटियों को प्राकृतिक रूप में उपयोग में लाया जाता है जिसमें कोई मिलावट नहीं होती तथा इन उपचारों का कोई दुष्परिणाम भी नहीं होता। यहाँ कैल्शियम की कमी को दूर करने के लिए 10 घरेलू उपचारों के बारे में बताया गया है। आइए देखें:
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कैल्शियम की कमी का इलाज कैसे किया जा सकता है?
- खान पान में बदलाव करना- कैल्शियम की कमी का इलाज करने का सबसे आसान तरीका खान-पान में बदलाव करना है।
डॉक्टर कैल्शियम की कमी से पीड़ित लोगों को ऐसे दही, चीज़, बीच इत्यादि खाने की सलाह देते हैं, जिससे कि उनके शरीर में कैल्शियम की कमी दूर हो सके। - एक्सराइज़ करना- किसी भी अन्य बीमारी की तरह कैल्शियम की कमी का भी इलाज एक्सराइज़ के द्वारा किया जा सकता है।
इस प्रकार, कैल्शियम की कमी से पीड़ित लोगों को चलना, दौड़ना, जॉगिंग करना इत्यादि एक्सराइज़ को करना चाहिए ताकि उनके शरीर में कैल्शियम की कमी दूर हो सके - कैल्शियम का सप्लीमेंट का सेवन करना- इन दिनों, बाज़ार में ऐसे बहुत सारे सप्लीमेंट मिलते हैं, जिनका सेवन कैल्शियम की कमी को दूर करने के लिए किया जा सकता है।
- कैल्शियम के इंजेक्शन लगाना- कैल्शियम संप्लीमेट का सेवन करने के साथ-साथ कैल्शियम की कमी को इंजेक्शनों के द्वारा भी दूर किया जा सकता है।
- कैल्शियम की दवाई खाना- अक्सर, कैल्शियम की कमी को दूर करने के लिए डॉक्टर इससे पीड़ित लोगों को कैल्शियम की दवाई भी देते हैं।
ये दवाईयाँ शरीर में कैल्शियम की सही मात्रा को बनाए रखने में सहायक साबित होती हैं।
कैल्शियम की कमी से बचाव कैसे किया जा सकता है?
- हेल्थी डाइट अपनाना- कैल्शियम की कमी से बचाव का सबसे कारगर तरीका हेल्थी डाइट अपनाना है।
ऐसी स्थिति में दूध, हरी पत्तियां सब्ज़ियाँ, दही इत्यादि का सेवन करना लाभदायक साबित हो सकता है। - एक्सराइज़ करना- यदि कोई व्यक्ति हर रोज़ एक्सराइज़ करता है, तो उसमें कैल्शियम की कमी होने की संभावना काफी कम हो जाती है।
- पर्याप्त नींद लेना- ऐसा कहा जाता है कि सभी लोगों को 6 से 8 घंटे की नींद लेनी चाहिए। यह उनके शरीर में एनर्जी देने के साथ-साथ उन्हें सेहतमंद भी रखता है। यह बात कैल्शियम की कमी पर भी लागू होती है, इसलिए इससे बचाव में पर्याप्त नींद लेना सहायक साबित हो सकता है।
- समय-समय पर हेल्थचेकअप कराना- सभी लोगों के लिए समय-समय पर हेल्थचेकअप कराना काफी जरूरी होता है क्योंकि यह उन्हें इस बात के लिए जागरूक रखता है, कि उन्हें कोई बीमारी तो नहीं है।
ऐसा कैल्शियम की कमी की स्थिति में भी देखने को मिलता है क्योंकि समय-समय पर हेल्थचेकअप कराने पर लोग से इस बात को लेकर जागरूक हो जाते हैं कि उनके शरीर में कैल्शियम की कमी के संकेत हैं या नहीं। - डॉक्टर के संपर्क में रहना- यदि किसी शख्स का कैल्शियम की कमी का इलाज चल रहा है, तो तब तक डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए जब तक वे उनके पूरी तरह से सेहतमंद होने की पुष्टि नहीं करते हैं।