धतूरा जहर होकर भी किसी अमृत से कम नहीं है, जानिए इसके औषधीय गुण
आयुर्वेद के ग्रंथों में अनेक औषधीय गुणों से युक्त वनस्पतियों का वर्णन मिलता है ! आज हम आपको एक ऐसे ही औषधीय वनस्पति का परिचय देंगे जिसका नाम धतूरा है , यूँ तो ईश्वर को सभी वनस्पतियां प्रिय होती हैं, लेकिन धतूरा इसके औषधीय गुणों के कारण और सरंक्षण के उद्देश्य से शिवजी प्रिय है !
नाम :
संस्कृत – धतूर, मदन, उन्मत्त, मातुल,
हिन्दी – धतूरा,
बंगला – धुतुरा,
मराठी – धोत्रा, धोधरा,
गुजराती – धंतर्रा,
अंग्रेजी – धोर्न एप्पल स्ट्रामोनियम !
धतूरा के औषधीय प्रयोग
जोड़ों की सूजन
यदि शरीर के किसी भी हिस्से में सूजन हो तो बस धतूरे के पत्तों को हल्का गुनगुना कर सूजन वाले स्थान पर बाँध दें निश्चित लाभ मिलेगा। इसके फल,मूल ,पत्र,त्वक ,काण्ड अर्थात पंचांग का रस निकालकर तिल के तेल में पका लें जब केवल तेल बचे तब इसकी मालिश जोड़ों में करें तथा पत्तों को बांध दें। इससे गठिया के कारण होनेवाले जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।
गंजापन करता है दूर
आजकल लोगों में गंजेपन की समस्या आम है। उम्र से पहले ही लोग गंजेपन का शिकार हो रहे हैं। कहा जाता है कि इस गुणकारी धतूरे के रस को नियमित रुप से सिर पर लगाने से बाल जल्दी आने शुरु हो जाते हैं।
इसके रस को सिर पर मलने से न केवल डैंड्रफ ख़त्म होती है, बल्कि गंजेपन से भी छुटकारा मिलता है।
जूएं मिटाने के लिए
आधा लीटर सरसों के तेल में ढाई सौ ग्राम धतूरे के पत्तों का रस निकालकर तथा इतनी ही मात्रा में पत्तियों का कल्क बनाकर धीमी आंच पर पकाकर जब केवल तेल बच जाय तब बोतल में भरकर रख लें। यह जूएं मिटाने के लिए श्रेष्ठ औषधि है।
धतूरा के बीज को अकरकरा और लौंग के साथ मिलाकर छोटी-छोटी गुटिका बना लें। यह सेक्स पॉवर को बढ़ाता है।
धतूरा, कपूर, शहद और पारे को बराबर मात्रा में मिलाकर और बारीक पीसकर इसके लेप को लिंग के आगे के भाग (सुपारी) को छोड़कर बाकी भाग पर लेप करने से संभोग शक्ति तेज हो जाती है।
लिंग का ढीलापन में – Male disease
धतूरा के 15 फलों को बीज सहित लेकर पीसकर बारीक चूर्ण को 20 किलोग्राम दूध में डालकर दही जमा देते हैं। अगले दिन दही को मथकर घी निकाल लेते हैं। इस घी की 125 ग्राम की मात्रा पान में रखकर खाने से बाजीकरण होता है तथा लिंग पर घी की मालिश करने से उसकी शिथिलता (ढीलापन) दूर हो जाती है।
काले धतूरे के बीज और काली मिर्ची को पानी में पीसकर, काली मिर्च के बराबर गोलियां बना ले। इसमें से एक-एक गोली सुबह शाम सौंफ के अर्क के साथ ले।
इक्कीस दिन में पुरानी से पुरानी अनैच्छिक वीर्यस्राव की बीमारी दूर हो जाती है। लेकिन इसमें खटाई और बाड़ी की चीजों से परहेज करने चाहिए।
सरसों का तेल 250 मिली 60 मिलीग्राम गंधक और 500 ग्राम धतूरे के पत्तों का स्वरस इन सबको एक साथ धीमी आंच पर पकाएं। जब तेल बचा रहे तब उसे इक्कठा कर कान में एक या दो बूँद टपका दें। इससे कान दर्द में तुरंत लाभ मिलेगा।
काले धतूरे के बीजों की राख को 125 -250 मिलीग्राम की मात्रा में देने पर ज्वर में भी लाभ मिलता है।
गर्भधारण में मदद करते हैं धतूरा के उपाय
धतूरे के फलों का चूर्ण 2 .5 ग्राम की मात्रा में बनाकर इसमें आधा चम्मच गाय का घी और शहद मिलकर रोजाना चटाने से स्त्रियों को जल्द गर्भधारण करने में भी मदद मिलती है।
इसके पत्तो को पीसकर सूती कपडे में पुल्टिस बांधकर या पेस्ट बनाकर दर्द वाली जगह पर लेप करने से गठिया और हड्डी के दर्द में बहुत लाभ मिलता है।
मिर्गी रोग धतूरे की जड सूंघे तो मिर्गी रोग शाँत हो जाता है।
आँख का दुखना धतूरे के पत्तों का अर्क कान में डालने से आँख का दुखना बंद हो जाता है।
बवासीर और भगन्दर, बवासीर और भगन्दर पर धतूरे के पत्ते सेंक कर बाँधे।
बालको के रोग, धतूरे के कोमल पत्तो पर तेल चुपडे और आग पर सेंक कर बालक के पेट पर बाँधे इससे बालक की सर्दी दूर हो जाती है। और फोडा पर बाँधने से फोडा अच्छा हो जाता है।
धतूरे के फूल पर फल आते हैं। 1 फल को तोड़कर ले आएं और इसे 2 बराबर हिस्सों में काट लेते हैं। आधे भाग के बीज निकालकर फेंक देते हैं और उसमें छोटी इलायची का चूर्ण अच्छी तरह से भर लेते हैं। दूसरे भाग के बीज नहीं निकालने हैं।
अब दोनों हिस्सों को मिलाकर धागे से लपेटकर पहले की तरह जोड़ देते हैं। इसके ऊपर बारीक कपड़ा लगाकर ऊपर गीली मिट्टी से पूरे फल पर लेप कर कण्डे (उपले) को जलाकर उसके बीच अच्छी तरह से रख देते हैं, जब कण्डे अच्छी तरह जल जाएं तथा ठण्डी राख शेष रहे तब इस कपड़े में मिट्टी में लिपटे धतूरे के फल को निकालकर सावधानी से साफ करके मिट्टी आदि हटाकर फल को अच्छी तरह पीसकर चूर्ण बना लेते हैं। लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग तक की गोलियां बनाकर सुखाकर रख लेते हैं।
अब 2-3 गोली श्वास या दमे के रोगी को शहद में मिलाकर दें। इस दवा के उपयोग से रोगी शीघ्र लाभ महसूस करने लगेगा। कुछ दिनों तक लगातार प्रयोग करने से दमा रोग नष्ट हो जाता है।
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धतूरे के पत्ते का भी धूम्रपान करने से खांसी खत्म हो जाती है।
धतूरे के दूध को छाती पर लगाने से श्वास (दमा) और पुराना दिल का रोग मिट जाता है।
धतूरे के सूखे पत्तों को चिलम में रखकर पीने से तीव्र वेग का श्वास (दमा) भी सामान्य हो जाता है।
धतूरे के कोमल पत्तो पर तेल चुपडे और आग पर सेंक कर बालक के पेट पर बाँधे इससे बाल का सर्दी दूर हो जाती है ! और फोडा पर बाँधने से फोडा अच्छा हो जाता है !
6 ग्राम धतूरे के बीज और 2 ग्राम अफीम को पानी में पीसकर 33 गोलियां कालीमिर्च के समान आकार की बना लेते हैं और इसे छाया में सुखा लेते हैं। दिन में 3 बार 1-1 गोली चूसने से दमा रोग ठीक हो जाता है।
धतूरा के आधे सूखे हुए पत्तों के चूर्ण को लगभग आधा ग्राम की मात्रा में लेकर बीड़ी पिलानी चाहिए। यदि 10 मिनट तक दमें का दौरा शान्त न हो तो अधिक से अधिक 15 दिनों बाद दूसरी बीड़ी पिलानी चाहिए। तब भी आराम न हो तो तीसरी बीड़ी नहीं पिलानी चाहिए। जिन्हें धतूरा अनुकूल न हो उन्हें इसे नहीं देना चाहिए।
सरसों का तेल 250 मिली ,60 मिलीग्राम गंधक और 500 ग्राम धतूरे के पत्तों का स्वरस इनसबको एक साथ धीमी आंच पर पकाएं ! जब तेल बचा रहे तब उसे इक्कठा कर कान में एक या दो बूँद टपका दें ! इससे कान दर्द में तुरंत लाभ मिलेगा !
धतूरे के बीजों के तेल की मालिश पैर के तलवों पर करने से यह उत्तेजक प्रभाव दर्शाता है !