
मौसम बदला नहीं कि बच्चे से लेकर बड़े-बूढ़े सबको सर्दी-खांसी की शिकायत हो जाती है। जौ के सत्तू में घी मिलाकर खाने से नज़ला, जुकाम, खाँसी तथा हिचकी रोग में लाभ होता है। इसके अलावा जौ के काढ़े (15-30 मिली) को पीने से प्रतिश्याय (Coryza) में लाभ होता है।
सांस लेने की तकलीफ से राहत दिलाने में जौ बहुत काम आता है। जौ के सत्तू को मधु के साथ सेवन करने से सांस की बीमारियों में अतिशय लाभ होता है।
अक्सर किसी बीमारी के साइड इफेक्ट के तौर पर प्यास लगने की समस्या होती है। इस समस्या से राहत पाने के लिए भुने अथवा कच्चे जौ की पेय बनाकर उसमें मधु एवं चीनी मिलाकर पीने से तृष्णा (अत्यधिक प्यास) बुझ जाती है।
अक्सर मसालेदार खाना खाने या असमय खाना खाने से पेट में गैस हो जाने पर पेट दर्द की समस्या होने लगती है। जौ के आटे में मट्ठा मिलाकर पेट पर लेप करने से दर्द से राहत मिलती है।
अगर मौसम के बदलने के वजह से या किसी संक्रमण के कारण बुखार हुआ है तो उसके लक्षणों से राहत दिलाने में जौ बहुत मदद करता है। जौ से बनाए पेय में मधु मिलाकर सेवन करने से पित्त के बढ़ जाने के कारण उल्टी और पेट दर्द, बुखार, जलन तथा अत्यधिक पिपासा से राहत मिलती है।
अक्सर उम्र बढ़ने के साथ जोड़ों में दर्द होने की परेशानी शुरू हो जाती है लेकिन जौ का सेवन करने से इससे आराम मिलता है। वातरक्त या गठिया रोग में लालिमा, पीड़ा तथा दाह हो तो ब्लड प्रेशर के पश्चात मुलेठी चूर्ण, दूध एवं घी युक्त जौ के आटे का लेप करने से लाभ प्राप्त होता है।
अगर आप मुँहासों के कारण परेशान रहते हैं तो जायफल के छिलके को जौ के साथ घोंट कर मुंह पर लेप करने से मुँहासे दूर होते हैं।
आजकल की सबसे बड़ी परेशानी है वजन का बढ़ना। जौ, आँवला तथा मधु का नियमित सेवन करने से तथा नित्य व्यायाम एवं अजीर्ण या अपच में भोजन न करने से मोटापा कम होता है।
अगर किसी चोट के कारण या बीमारी के वजह से किसी अंग में हुए सूज़न से परेशान है तो जौ के द्वारा किया गया घरेलू इलाज बहुत ही फायदेमंद होता है। जौ को पीसकर शोथ या सूज़नप्रभावित स्थान पर लगाने से सूज़न कम होता है।