हरा रक्त यानि ( गेंहू के जवारे अंग्रेजी में इसे Wheat grass कहते हैं ) लम्बे तथा स्वस्थ जीवन के लिए प्रकृति का दिया हुआ एक अमृत है, जो सभी के लिये लाभकारी है। गेंहू के जवारे का सेवन सभी व्यक्तियों के लिये बहुत उपयोगी है। इसका इतिहास बहुत पुराना है।
व्हीट ग्रास जूस (wheat grass juice) यानी कि गेंहू के जवारे का रस अनेक गुणों की खान है। जहां यह पूजा के लिए प्रयोग होता है, वहीं यह हमारे शरीर को भी शुद्ध करता है। आज के युग में भी यह प्रकृति का दिया अनूठा उपहार है और अमृत समान है। गेंहू के साफ और स्वस्थ बीज को उपजाऊ जमीन या ट्रे में बो दिया जाता है
जब यह अंकुरित होकर बढ़ने लगता है तथा जब इसमें 5-6 पत्तियाँ निकल आये तब इसे गेंहू के जवारे कहते हैं। कई त्योहारों पर गेंहू के ज्वारों को उगाने, पूजा करने के रिवाज सदियों से चले आ रहे हैं। आइये, जानते हैं गेंहू के जवार के रस के फायदे।
1. त्वचा को दमकाये:
यह आपकी त्वचा की समस्याओं से मुक्ति दिलाता है। जी हाँ, अगर आप इसका सेवन कुछ समय तक लगातार करते हैं तो यह आपको त्वचा की समस्याओं से मुक्ति दिलाता है।
2. बालों में आए नई सी जान:
अगर आप बालों की समस्या से जूझ रहे हैं तब भी यह रस आपके लिए बहुत ही काम का साबित हो सकता है। गेंहूँ के जवारे के रस का सेवन करने से बाल जल्दी सफेद नहीं होते हैं और ये घने, काले और मजबूत बनते हैं।
3. मोटापे से मुक्ति:
जिन लोगों को अपने वजन से परेशानी है या जो मोटापे का शिकार हैं उनके लिए तो यह रस रामबाण औषधि की तरह कार्य करता है। वजन को कम करने के लिए यह श्रेष्ठ दवा है।
4. ब्लड प्रेशर की टेंशन जाओ भूल:
गेहूं का रस ब्लड प्रेशर को कम करने का कार्य भी करता है। साथ ही यह ब्लड सर्कुलेशन को बिल्कुल सही करके अवांछनीय तत्वों को भी शरीर से बाहर निकालता है।
5. होगी शुगर भी कंट्रोल में:
गेहूं का रस मधुमेह के रोगियों के लिए भी बहुत लाभदायक है और ब्लड शुगर को कम करने में और इसे कंट्रोल करने में यह एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
6. शरीर बनाये मजबूत:
गेहूं के रस का नित्य सेवन आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और साथ ही आपको मजबूत बनाता है ताकि आपका शरीर सभी बीमारियों से आराम से लड़ सके ।
7. केंसर में भी फायदेमंद:
आपको जान कर हैरानी हो सकती है लेकिन गेहूं का रस केंसर जैसे रोगों में भी फ़ायदेमद होता है और कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के समय भी रोगियों को इसका सेवन करना चाहिए ।
8. दांत करेगा मजबूत-
गेहूं का रस आपके दांतों को भी लाभ पहुंचाता है। यह पायरिया, मसूड़ों से खून आना आदि समस्याओं से मुक्ति दिलाता है।
9. बवासीर के दर्द से देगा राहत-
बवासीर रोग के इलाज में भी गेहूं का रस बहुत ही उपयोगी है। यह रस बवासीर के दर्द को कम करता है।
10. पेट के रोगों को करेगा दूर:
पेट के रोग जैसे गैस आदि में भी यह रस लाभकारी है। यह पाचन क्रिया को सुधारता है और कब्ज आदि को खत्म करके आराम देता है।
11. आंखों को देगा चमक-
यह आंखों की रोशनी को बढ़ाता है और आंखों की बीमारियों को दूर करने में सहायक है । इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन ए होता है जो कि आंखों के लिए लाभकारी है।
12. ऐसा एंटीसेप्टिक और कहां-
गेहूं का रस एक बेहतरीन एंटीसेप्टिक और एंटीऑक्सीडेंट का काम करता है। किसी भी तरह की चोट पर या जलने पर यह अच्छा असर दिखाता है।
13. गले को भी पहुंचाएगा आराम- गले की बीमारियों में भी ज्वारे का रस बहुत लाभदायक है और गले की बीमारियों से मुक्ति दिलाता है। गले की खराश आदि को यह खत्म करता है।
14. मुँह की बदबू करे दूर- जवारों को चबाने से मुँह की बदबू खत्म होती है और यह मुँह से आने वाली बदबू से स्थायी समाधान दिलाता है।
15. लीवर के लिए फायदेमंद- लीवर के लिए यह रस एक रामबाण औषधि की तरह कार्य करता है और लीवर को मजबूती प्रदान करता है।
गेहूं के जवारे का रस बनाने की विधि तथा घर पर व्हीटग्रास उगाने के तरीके
कई प्रकार के प्रयोगों द्वारा परीक्षण करने पर यह निष्कर्ष निकला गया है कि आज के युग में भी यह प्रकृति का दिया अनूठा उपहार है और अमृत समान है।
गेंहू के जवारे में अनेक पोषणदायक और रोग निवारक तत्व हैं। उन में सभी आवश्यक विटामिन (जैसे – विटामिन ए, विटामिन-सी 100 मि.ग्रा./100 ग्राम, विटामिन बी, विटामिन ई, विटामिन के, लिट्राइल- विटामिन बी, आदि) हैं। इन सभी विटामिन के अतिरिक्त इसमें कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन और वसा भी मौजूद होती है। लिट्राइल से कैंसर जैसी बिमारियों से बचाव होता हैं, किन्तु जवारे का सबसे महत्वपूर्ण तत्त्व है क्लोरोफिल।
क्लोरोप्लास्ट्स सूर्यकिरणों की सहायता से पोषक तत्वों का निर्माण करते हैं। यही कारण है कि आविष्कारक वैज्ञानिक डॉ. बर्शर क्लोरोफिल को केन्द्रित “सूर्यशक्ति’ कहते हैं। वास्तव में यह क्लोरोफिल हरे रंग की सभी वनस्पतियों में होता है, लेकिन गेंहू के जवारे में क्लोरोफिल सबसे अधिक मात्रा में होता हैं। गेंहू के जवारे खून में हिमोग्लोबिन बढ़ाने वाला होता है। अब आपके मन में यह सवाल आ सकता है कि यदि सभी वनस्पति, सब्जी, फल या घास में क्लोरोफिल होता है तो फिर गेंहू के जवारे को ही पसंद क्यों किया जाए? इसमें ऐसा क्या खास है ?
गेंहू की घास यानि गेंहू के जवारे सभी घासों में सबसे अधिक विटामिन से भरपूर होती है। गेंहू के जवारे के रस से मनुष्य को आवश्यक सभी प्रकार का पोषण उपलब्ध हो जाता है। गेंहू के जवारे के रस से व्यक्ति को आवश्यक सभी प्रकार का पोषण उपलब्ध हो जाता है। 23 किलो हरी सब्जियों से आपको जितना पोषण मिलता है उतना केवल 1 किलो जवारे से प्राप्त हो जाता है।
गेंहू के जवारे का रस एक सम्पूर्ण आहार (a complete food) है। केवल यह रस पीकर भी मनुष्य पूरा जीवन बिता सकता है। उनमें मौजूद मेग्नेशियम शरीर के भीतर लगभग तीस ऍन्जाइमों की सक्रियता के लिए उपयोगी है। जवारे में विटामिन-डी और विटामिन-बी के आलावा सभी विटामिन बहुत अधिक मात्रा में होते हैं। जवारे के ताजे रस में उतने ही वजन की मौसम्बियों या संतरों के रस की अपेक्षा काफी अधिक विटामिन-सी पाया जाता है।
100 ग्राम जवारे में 18,000 इकाई विटामिन-ए उपस्थित हैं। उसमें अवस्थित विटामिन-ई हृदय, रक्तवाहिनियों और यौन स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभदायक है। उसमें उपस्थित विटामिन-बी 17 (लिट्राइल) को कई डॉक्टर कैन्सर को खत्म करने के लिए सही मानते हैं। उसमें अनेक पाचक रस और ऍन्जाइम हैं जो शरीर को विविध रूप में उपयोगी हैं।
सौ ग्राम ताजे जवारे में से अंदाजन 90-100 मि.ग्राम क्लोरोफिल प्राप्त होता है। यह क्लोरोफिल अत्यन्त उच्च गुणवत्ता वाला एवं सक्रिय रसायन होता है।
गेंहू के जवारे के रस की रासायनिक संरचना मनुष्य के रक्त की रासायनिक संरचना से काफी मिलती-जुलती है। गेंहू के जवारे का रस और मानव-रक्त दोनों समान मात्रा में क्षारीय (Alkaline) हैं। दोनों का pH एक समान ही है। इसीलिए उसका रस पीने के बाद बहुत जल्दी से पच जाता है और शीघ्रता से रक्त में मिल जाता है और शरीर के उपयोग में आने लगता है खासकर खून बढ़ाने में |
गेंहू के जवारे रक्त व रक्त संचार संबंधी रोगों, रक्त की कमी, उच्च रक्तचाप, सर्दी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, स्थायी सर्दी, साइनस, पाचन संबंधी रोग, पेट में छाले, कैंसर, आंतों की सूजन, दांत संबंधी समस्याओं, दांत का हिलना, मसूड़ों से खून आना, चर्म रोग, एक्जिमा, किडनी संबंधी रोग, कान के रोग, थायराइड ग्रंथि के रोग के इलाज में गेंहू के जवारे एक अनमोल औषधि हैं
साथ ही गेंहू के जवारे का रस पीने से बाल असमय सफेद नहीं होते हैं। यदि इसका सेवन 7-8 महीने तक किया जाये तो यह मुहाँसों और उनसे बने दाग, धब्बे और झाइयां भी साफ हो जाते हैं। इस आर्टिकल में हमने केवल गेंहू के जवारे कुछ गुणों को बताया है
आगे आने वाले अपने आर्टिकल में हम आपको बतायेंगे आप इसके प्रयोग से आप कितने रोगों से बचाव कर सकते है | यहाँ हम केवल इसको उगाने की विधि तथा रस निकालने की विधि के बारे में बतायेंगे |
गेंहू के जवारे का रस बनाने की विधि
गेहूं के जवारे का जूस कैसे निकालें
ताजे काटे हुए जवारे को पानी से धोकर उन्हें सिल पर या मिक्सी में पीस लें। इसके बाद एक साफ़ बारीक सूती कपड़े में रखकर उसे दबाकर रस निचोड़ लें ।
कपड़े के बदले प्लास्टिक की जालीदार छलनी का भी उपयोग किया जा सकता है।
गेंहू के जवारे को पीसते समय थोड़ा पानी मिलाने से रस आसानी से निकलता है। सादे पानी के बदले लौह चुम्बक से प्रभावित पानी भी मिलाया जा सकता है।
इलेक्ट्रिक मिक्सर में डालकर भी ज्वारों को पीसा जा सकता है। समय बचाने और पीसने की झंझट से बचने के लिए अथवा अधिक मात्रा में रस निकालने के लिए मिक्सर अधिक उपयोगी होता है।
रस निकालने के बाद उसे तुरन्त पी लेना चाहिए। रस निकालकर उसे रख छोड़ने से उसमें उपस्थित कई उड़नशील तत्व उड़ जाते हैं। उसके बाद उसमें उपस्थित विटामिन- विशेषतः विटामिन ‘सी’ का हवा के कारण (Oxidation) हो जाता है। रस में उपस्थित क्लोरोफिल की सक्रियता में भी कमी होती जाती है।
इसलिए रस निकालने के बाद जितना जल्दी हो सके उसको पी जाएं।
गेंहू के जवारे का रस पीने की एक विशेष पद्धति है। रस को एक साथ ही न गटगटा पियें, किन्तु उसे एक-एक बूंट करके पीना चाहिए। ऐसा करने से रस में लार का मिश्रण होता है और फलस्वरूप वह पचकर शरीर में अच्छे से मिल जाता है।
जिन लोगों को ज्वारों का रस बिल्कुल स्वादिष्ट न लगता हो या पीने से उबकाई आती हो उन्हें जवारे के रस में अंगूर या मौसम्बी का थोड़ा रस मिला लेना चाहिए। लेकिन स्वाद के लिए जवारे के रस में नमक, काली मिर्च या अन्य मसाले न मिलाएं।
गेंहू के जवारे व उसके रस की मात्रा
- शुरुवात में गेंहू के जवारे या उसके रस की मात्रा कम रंखनी चाहिए। फिर धीरे-धीरे उसकी मात्रा बढ़ाते जाएं।
- साधारण बीमारी या तकलीफ के समय दिनभर में लगभग 100 ग्राम गेंहू के जवारे या 100 मि.ली. रस का सेवन करना चाहिए।
- गंभीर रोगों में 25 से 50 मि.ली. से आरम्भ करें और इसकी मात्रा बढ़ाते हुए 250 से 300 मि.ली. तक पहुंचे।
- रोग मिटने के बाद भी प्रतिदिन 50 मि.ली. के लगभग रस पीना जारी रखें। इससे स्वास्थ्य बनाए रखने में सहायता मिलती है। कोई भी स्वस्थ व्यक्ति इतना रस पीकर रोगों को होने से रोक सकता है।
- गेहूं के जवारे के नुकसान: -शुरुवात से ही जवारे का रस अधिक मात्रा में पीने से कई लोगो को उबकाई, दस्त या बुखार जैसी तकलीफें हो जाने की संभावना है। इस कारण शुरुवात में रस की मात्रा कम रखकर धीरे-धीरे बढ़ाते जाने की सलाह दी जाती है।
- जवारे के रस का सेवन करते हुए यदि अच्छा महसूस ना हो तो घबराएं नहीं, ऐसी स्थिति में रस में थोड़ा पानी मिलाकर फिर उसका सेवन करें |
गेंहू के जवारे का सेवन कैसे करें?
- एक तरीके के अनुसार, गेंहू के जवारे को चबाकर खाने की है और दूसरे तरीके के अनुसार जवारे का रस निकाल कर पीने की है। सबसे पहले यहाँ इन दोनों तरीको के फायदे तथा नुकसान पर एक नजर डाल लेते हैं ।
- गेंहू के जवारे को चबाकर खाने से उसमें विशेष मात्रा में मुंह की लार मिली होती है। इससे उनके पाचन की प्रक्रिया मुंह में ही शुरू हो जाती है। जवारे चबा लेने के बाद बचे हुए रेशों को थूक दें। फिर भी यदि रेशों के कुछ टुकड़े पेट में चले जाते हैं तो उनसे लाभ ही होता है। जवारे के रेशे कब्ज को रोकते हैं और उसे दूर करते हैं। साथ ही जवारे को चबाकर खाने से दांतों को कसरत मिलती है, दांत स्वच्छ और मजबूत बनते हैं, उसके बाद जवारेमें उपस्थित क्लोरोफिल दांतों की सड़न को दूर करता है या रोकता है।
- गेंहू के जवारे का प्रयोग करने वाले ज्यादातर वे लोग होते हैं जो किसी न किसी बीमारी की चपेट में होते हैं। उन्हें जवारे में मौजूद रोगनिवारक तत्त्वों की अधिक मात्रा में जरूरत होती है।
- जवारे को चबाकर खाने की पद्धति इस प्रकार है :
ताजा काटे हुए जवारे को पानी में धोकर मुंह में रखें और फिर खूब चबाएं। अन्त में जब सफ़ेद रेशे शेष रह जाएं तो उन्हें थूक डालें। जिन्हें कब्ज की शिकायत रहती हो उन्हें ये सफेद रेशे भी निगल जाने चाहिए। जवारे को खूब चबाने का खास फायदा है। रेशों में भी मूल्यवान तत्त्व और फाइबर होते हैं।
गेंहू के जवारे उगाने की विधि
ज्वार उगाने का तरीका
गेंहू के जवारे उगाने के लिए निम्न विधि अपनाएं –
- गमले का चुनाव : गेंहू के जवारे उगाने के लिए लगभग तीन इंच की गहराई और एक वर्ग फुट नाप के 7 गमले लें। यदि घर में आंगन हो तो उसमें छोटी-सी क्यारी बनाकर भी गेहूं के बीज बोए जा सकते हैं।
- मिट्टी और खाद : गेंहू के जवारे उगाने के लिए बहुत चिकनी या रसायन मिश्रित मिट्टी काम में न लें, अन्य कोई भी सामान्य मिट्टी चल जाएगी। रसायन मिश्रित मिट्टी उपयोग में न लें |
- गेंहू के जवारे के अच्छे विकास के लिए और उसमें पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्वों के समावेश के लिए मिट्टी में खाद डालनी चाहिए। गावों में तो गोबर की खाद आसानी से मिल जाती है, किन्तु शहरों में इस किस्म की खाद मिलने में कठिनाई पड़ती है। इसलिए शहरों में ‘कम्पोस्ट’ नाम की तैयार खाद मिलती है। उसी का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन सभी रासायनिक खादों का उपयोग न करें।
- जवारे की अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए तीन भाग मिट्टी और एक भाग खाद की मिलावट अच्छी रहती है। मिट्टी और खाद के इस मिश्रण को गमले में इस ढंग से भरें, की गमले के ऊपर वाला हिस्सा लगभग आधा इंच खाली रहे।
- गेहूं की किस्म :
जवारे उगाने के लिए अच्छी किस्म के और बड़े दाने वाले गेंहू लें। हर बार बोने के लिए लगभग सौ ग्राम गेंहू लें। इतने गेंहू से लगभग 100 ग्राम जवारे प्राप्त हो जाते हैं, जिनसे 4 से 6 औंस रस निकलता है। एक व्यक्ति के लिए इतनी मात्रा पूरे दिन के लिए काफी होती है। - बोने के पहले गेंहू के दानों को अंकुरित कर लें। इसके लिए गेंहू को सबसे पहले लगभग 12 घण्टे तक थोड़े पानी में भिगोकर रखें। इतने समय में गेहूं अच्छी तरह फूल जाते हैं। इन फूले हुए गेंहू को एक भीगे मोटे कपड़े में 12 से 14 घण्टों तक सख्ती से बांधे रखें।
इतने समय के भीतर गेंहू अंकुरित हो जाते हैं। गेंहू को अंकुरित करने की प्रक्रिया उपयोगी है। यदि गेंहू बिल्कुल नए हों, सड़े हुए हों या घुन लगे हुए हों तो ऐसे गेंहू नहीं उगते। उन्हें अंकुरित करने से उनकी गुणवत्ता फौरन मालूम हो जाती है यानि कितने प्रतिशत गेंहू उग सकते हैं यह पता चल जाता है।
दूसरी ओर यदि गेंहू अंकुरित किये बगैर बोए जाएं तो चौथे या पांचवें दिन उसकी गुणवत्ता मालूम होती है। यदि गेंहू उगते नहीं हैं तो गेंहू, मिट्टी, खाद, मेहनत आदि सभी कुछ खराब हो जाता है। दूसरी ओर निर्धारित दिन को आवश्यक मात्रा में जवारे नहीं मिलते।
पानी में भिगोने के बाद और भीगे कपड़े में बांधने के बाद यदि केवल 50 प्रतिशत गेंहू ही अंकुरित हों तो 100 ग्राम के बदले 200 ग्राम गेंहू बोना आवश्यक है। इसके अलावा निर्धारित समय में जवारे भी तैयार हो सकते हैं।
- गेंहू के जवारे उगाने की विधि :
अंकुरित गेहूं मिट्टी के ऊपर बहुत पास-पास गेहूं के दानों को मिट्टी पर इस प्रकार बिछा दें कि दानों का आपस में स्पर्श होता रहे। इसके बाद उन पर थोड़ा पानी छिड़क दें। पानी उड़ेलना नहीं है, बस छिड़कना है। अधिक मात्रा में पानी सींचने से गेहूं सड़ जाते हैं। - गेंहू के जवारे पर सामान्य पानी छिड़कने के स्थान पर यदि लौह चुम्बकों से प्रभावित किया हुआ पानी छिड़का जाए तो जवारे बहुत तेज़ी के साथ उगते हैं और उनमें पोषक तत्व भी अधिक होते हैं यह कई प्रयोगों द्वारा पता चला है। आप चाहे तो इस पानी से सिंचाई कर सकते है पानी को चुंबकांकित बनाने की विधि सबसे नीचे दी गई है |
- उगाए हुए गेंहू के जवारे पर सामान्यतः 24 घण्टे में एक बार ही पानी छिड़कना चाहिए। पानी के छिड़काव के लिए दोपहर के बाद या शाम के पहले का समय अच्छा माना जाता है। गर्मियों में दो-तीन बार पानी छिड़कने की आवश्यकता रहती है। गमले को तीन-चार घण्टे से अधिक समय तक धूप में न रहें इसका ध्यान रहे। दोपहर में धूप कड़ी होती है अतः उस समय गमले छाया में ही रखें।
- याद रहे कि एक दिन में केवल एक गमला ही तैयार करना है, सातों गमले एक साथ तैयार नहीं करने हैं। पहले दिन पहले गमले में 100 ग्राम गेंहू बोएं। दूसरे दिन दूसरे गमले में और तीसरे दिन तीसरे गमले में गेहूं बोएं। इस प्रकार सात दिनों के भीतर सातों कुण्डों में सौ-सौ ग्राम गेंहू बोएं। पहले कुण्डे में बोए हुए गेंहू की घास आठवें दिन काटने के योग्य हो जाती है यानि 4-5 इंच ऊँची हो जाती है। आठवें दिन कैंची से ज्वारों को नीचे से काट लें और धोकर उपयोग में लें । ज्वारों को जड़ से न उखाडे ।
- गेंहू के जवारे को 4-5 इंच से अधिक ऊँचा न होने दें, क्योंकि बाद में उनमें से क्लोरोफिल और अन्य पोषक तत्व कम होने लगते हैं। उसके बाद उनमें कोमलता भी कम होने लगती है जिससे रस कम निकलता है।
- गेंहू के जवारे काट लेने के बाद गमले की मिट्टी निकालकर धूप में सुखाने के लिए रख दें। चार-पांच दिनों के बाद इस मिट्टी को फिर से उपयोग में लाया जा सकता है। इस प्रकार उपयोग में ली जाने वाली मिट्टी में हर बार थोड़ी नई मिट्टी और खाद मिला कर इस्तमाल किया जा सकता है।
- गमले और उगते हुए ज्वारों की देख-भाल : कबूतरों, चिड़ियों और चूहों से ज्वारों को बचाने के लिए लकड़ी या लोहे के पिंजरे का उपयोग करें। ताकि हवा और सूर्यप्रकाश मिलते रहें।
- उत्तरी भारत में बहुत अधिक तेज़ गर्मी के दौरान यह संभव है जवारे ठीक से न उगें। ऐसे समय में गेहूं के बदले मकई के दानों को बोकर मकई की घास का उपयोग करें। हालाँकि पोषक तत्वों एवं विटामिन के लिहाज से मकई की घास गेंहू की घास (जवारे ) की अपेक्षा थोड़ी कम उपयोगी है। मकई का दाना आकार में बड़ा होने से 100 ग्राम के बदले 40-45 ग्राम बोने से ही काम चल जाता है। ये फायदा जरुर है मकई के जवारे का |
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पेट की गैस से हैं परेशान, तो दूर करेंगे ये घरेलू नुस्खे
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हम बात कर रहे हैं गेहूं के ज्वारे के रस की । पहले तो ये जान लें कि ये है क्या, गेहूं की पौध को गेहूं का ज्वारा कहते हैं । यानी गेहूं के बीच जब जमीन में रोपित किए जाते हैं तो 7 से 8 दिन में जो पौध बनकर तैयार होती है वो गेहूं का ज्वारा कहलाती है । इसे अंगेजी में Wheat Grass कहते हैं । इसके फायदे अनेक हैं, आयुर्वेद में इसके रस को संजीवनी बूटी कहा गया है । आजकल ये आयुर्वेदिक औषधि के रूप में आसानी से उपलब्ध है ।
गेहूं के ज्वारे में क्लोरोफिल ,आयोडीन ,सेलेनियम , आयरन और विटामिन A ,B 2 ,C और E जैसे कई पोषक पदार्थ पाए जाते हैं जो इसकी
ज्वारे के जादुई रस में बहुत अधिक मात्रा में फाइबर पाया जाता है । ये शरीर में मौजूद वसा को काटता है । ज्वारे के रस का सेवन नियमित रूप से करने पर शरीर का मेटाबॉलिज्म ठीक रहता है । मोटे लोगों को ये वजन घटाने में मदद करता है ।
बॉडी को टॉक्सिक फ्री करता है – गेहूं के ज्वारे के जूस में क्लोरोफिल पाया जाता है । ये शरीर में जाकर शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है । ये ब्लड में ऑक्सीजन की मात्रा बनाए रखता है ।
गेहूं के ज्वारे का जादुई रस पीने से शरीर के विषाक्त पदार्थ शरीर से बाहर हो जाते हैं । ऐसा होने से मुंह से फिर बदबू भी नहीं जाती । इस रस से कुल्ल करने से मसूड़ों से खून आना, बदबू आना, दांतों की प्रॉब्लम सब दूर होती है । ओरल हाईजीन का ये सबसे बेस्ट तरीका माना जाता है ।
अगर आपको उल्टी जैसा महसूस हो रहा हो तो ज्वारे के रस का एक घूंट पी लें । राहत मिलेगी । ज्वारे का जूस कब्ज से भी राहत देता है ।
आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर गेहूं के ज्वारे में एंटी एजिंग गुण होते हैं । इसका नियमित सेवन करने से चेहरे पर झुर्रियां नहीं आतीं, ये त्वचा कोजवान बनाए रखता है । इसे पीने से स्किन रिलेटेड प्रॉब्लम नहीं होती । । इसमें क्लोरोफिल पाया जाता है जो त्वचा पर बुढ़ापे का असर नहीं पड़ने देता । ज्वारे का जादुई रस पीना एकदम फायदे का सौदा है । बस इसे पीने से पहले इससे जुड़ी सावधानी भी जान लें ।
ज्वारे का जूस हमारे शरीर में खून में मौजूद लाल रक्त कोशिकाओं को बढ़ाता है । इसे पीने से हमारे शरीर में ब्लड प्रेशर एकदम कंट्रोल में रहता है । इसे पीने से हार्अ अटैक होने की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है ।
गेहूं के ज्वारे का जादुई रस पीने से पेट एकदम दुरुस्त रहता है । एसिड बनने की समस्या नहीं हेती और ना ही अपच और दर्द की समस्या होती है ।
ज्वारे के जूस में मौजूद मिनरल्स आपके शरीर को अंदर से मजबूत बनाते हैं । ये आपकी हड्डियों को स्ट्रॉन्ग करते हैं । इसके रस में कपड़ा भिगकर दर्द वाली जगह पर बांधने से भी राहत मिलती है । बुजुर्ग होने पर आप जोड़ों के दर्द से दो चार नहीं होंगे अगर जवानी से ही अपना इलाज ज्वारे के रस से करना शुरू कर देंगे । रोजाना आधा गिलास इस रस का सेवन आपको दुरुस्त बनाए रखेगा ।
आपके बालों की सभी समस्याओं का वन स्टॉप सॉल्यूशन है ज्वारे का रस । इस रस को बालों में रुई की मदद से लगाएं, अच्छे से मसाज करेंऔर फिर बालों को आधे घंटे बाद धो लें । आपके बालों की सारी समस्याएं दूर हो जाएंगी । बालों में रूसी, रूखापन, झड़ने-गिरने की प्रॉब्लम नहीं होगी । बाल जड़ से मजबूत हो जाएंगे । और घने और काले भी होंगे ।
केला और ज्वार के रस का सेवन करने के ये फायदे नहीं जानते होगे आप
एक गिलास सेवन करने से आपके शरीर में दिनभर प्रोटीन की कमी नहीं होगी। इसमें फैट की मात्रा बहुत ही कम होती है। इसके साथ ही इसमें आधा कार्ब और 38 फीसदी प्रोटीन होती है।
गर्मियों का मौसम हो या फिर कोई और। हम हमेशा इस बात का ध्यान रखते है कि ऐसी चीजों का सेवन करें जिसमें भरपूर मात्रा में विटामिन, कैल्शियम, खनिज, प्रोटीन हो। लेकिन कई बार हमें इतना समय नहीं मिल पाता है कि हम आराम से ऐसी चीजों का सेवन कर पाएं।
हमें सबसे ज्यादा अपनी बॉडी में जरुरत होती है। वह है प्रोटीन। सबसे ज्यादा प्रोटीन ज्वारे के रस और केला में पाया जाता है। इसका रोजाना एक गिलास सेवन करने से आपके शरीर में दिनभर प्रोटीन की कमी नहीं होगी। इसमें फैट की मात्रा बहुत ही कम होती है। इसके साथ ही इसमें आधा कार्ब और 38 फीसदी प्रोटीन होती है। इसके साथ ही इस ड्रिंक में भरपूर मात्रा में विटामिन (ए, सी), आयरन और कैल्शियम भी होता है। जानिए इसे बनाने की विधि साथ ही जानिए इसमें कितनी मात्रा किस तत्व की होती है।
एक गिलास ड्रिंक में इतनी होती है तत्वों की मात्रा
कैलोरी- 338
फैट- 6.4 ग्राम
कोलेस्ट्राल- 52 ग्राम
प्रोटीन- 34.6 ग्राम
फाइबर- 8.1 ग्राम
शुगर- 30.3 ग्राम
कार्ब- 52 ग्राम
ऐसे बनाएं इस ड्रिंक को
सामग्री
1. एक कप दूध
2. एक पका हुआ केला
3. आधा कटोरी ज्वारे का रस (ऑर्गेनिंक गेहूं)
4. दो चम्मच दालचीनी
5. आधा कटोरी प्रोटीन पाउडर
ऐसे बनाएं
इन सभी चीजों को लेकर ग्राइंडर में डाल लें। इसके बाद इसे अच्छी तरह से ग्राइंड कर लें। और फिर गिलास में डालकर सर्व करें।
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