
1. गठिया में भी पुनर्नवा बहुत उपयोगी माना गया है। 1 ग्राम पुनर्नवा की जड़ के पाउडर को अदरक और कपूर के साथ मिलाकर काढ़ा बना कर 7 दिनों के लिए उपयोग करें। गठिया में बहुत आराम मिलेगा।
2. पुनर्नवा की जड़ को तेल में गर्म कर के त्वचा पर मालिश करें। यह सभी प्रकार के त्वचा रोग के इलाज में उपयोगी है। यह रक्त को शुद्ध करता है और त्वचा को युवा बनाता है। पनर्नवा की जड़ का पानी त्वचा की एलर्जी जैसे
3. खुज़ली, चकत्ते आदि के इलाज के लिए भी उपयोग हो सकता है। इस जड़ी बूटी का नियमित उपयोग त्वचा को प्राकृतिक चमक देता है।
4. अस्थमा में भी पुनर्नवा लाभदायक है। 500 मिलीग्राम हल्दी के साथ 3 ग्राम पुनर्नवा की जड़ का पाउडर बना लें। इस पाउडर का दिन में दो बार गुनगुने पानी के साथ उपयोग करें। इसके उपयोग से अस्थमा में लाभ मिलेगा। पुनर्नवा की सूखी पत्तियों का उपयोग ब्रोन्कियल अस्थमा के उपचार में किया जा सकता है। इन पत्तियों का काढ़ा अस्थमा पीड़ित लोगों के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है, इस में अदरक का रस और काली मिर्च मिलाने से यह और अधिक प्रभावशाली बन जाता है।
5. अनिद्रा में भी पुनर्नवा बहुत उपयोगी है। पुनर्नवा का 50-100 मिलीलीटर काढ़ा बना कर उपयोग करें। यह नींद की गोलियों के रूप में काम करता है और आप को गहरी नींद दिलाता है।
6. प्रोस्टेट हमारे शरीर में एक छोटी सी ग्रंथि होती है जिसका आकर अखरोट के समान होता है। यह पुरुष में मूत्राशय के नीचे तथा मूत्रनली के आसपास स्थित होती है। 50 वर्ष की आयु के बाद प्रोस्टेट की समस्या आम हो जाती है। प्रोस्टेट ग्रंथि की वृद्धि हो जाने पर पुनर्नवा की जड़ों के चूर्ण का सेवन लाभकारी होता है।
7. पुनर्नवा का उपयोग ना सिर्फ गुर्दे को साफ करता है बल्कि पुनर्नवा के उपयोग से गुर्दे की पथरी से भी छुटकारा पाया जा सकता है। इसके लिए आप सम्पूर्ण पुनर्नवा के पौधे का काढ़ा बनायें और 10-20 ग्राम काढ़े का प्रतिदिन उपयोग करें। यह गुर्दे से संबंधित विकारों के इलाज के लिए बहुत लाभदायक है।
8. पीलिया के रोग में आँखों तथा शरीर की त्वचा का रंग बदल कर पीला हो जाता है, मूत्र में पीलापन, बुखार तथा कमजोरी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। पुनर्नवा का पंचांग – जड़, छाल, पत्ती, फूल और बीज को शहद या मिश्री के साथ सेवन करें तथा इसका रस या काढ़ा पिएं। पुनर्नवा के संपूर्ण पौधे के रस में हरड़ के फलों का चूर्ण मिलाकर लेने से पीलिया में काफी लाभ मिलता है। सुबह और शाम पुनर्नवा की 3-4 जड़ें धोएं और इन जड़ों का पेस्ट बनाएं। अब इस पेस्ट में थोड़ा पानी और चीनी मिलाएं और इसका सेवन करें। पपुनर्नवा का स्वाद कड़वा होता है इसलिए इस पेस्ट का कड़वापन दूर करने के लिए इसमें चीनी मिलाई जाती है।
9. आयुर्वेद के अनुसार इस पौधे में यह क्षमता है कि इसके सेवन से व्यक्ति अपने आप को पुनः जवान बना सकता है। मध्य प्रदेश के पालकोट के आदिवासी इसे जवानी बढ़ाने वाली दवा के रूप में इस्तेमाल करते हैं। पुनर्नवा की 2 चम्मच ताजी जड़ का रस 2-3 माह तक नियमित रूप से सेवन करने से वृद्ध व्यक्ति भी युवा की तरह महसूस करता है।
10. आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने मधुमेह का इलाज करने के लिए पुनर्नवा को एक काफी फ़ायदेमं जड़ी बूटी बताया है। रिसर्च द्वारा यह पाया गया है कि यह वास्तव में मधुमेह के इलाज में मदद कर सकता है। एक पशु अध्ययन में पाया गया कि पुनर्नवा का सेवन करने से मधुमेह से पीड़ित चूहों में रक्त ग्लूकोज का स्तर कम हुआ। पुनर्नवा इंसुलिन के स्राव में सुधार करने काम कर सकता है। हालांकि यह आपकी मधुमेह की दवा की जगह तो नहीं ले सकता है, पर पुनर्नवा लेने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें।
11. पुनर्नवा में तनाव से लड़ने के गुण होते हैं। एक अध्ययन में, जब चूहों को सीमित जगह में घुमने के लिए मजबूर किया गया, तो देखा गया की थोड़ी देर बाद चूहों ने घूमना बंद कर दिया। जो अवसाद जैसी मानसिक स्थिति का एक व्यवहारिक संकेत होता है। लेकिन जब उन्हें पनर्नवा की जड़ों का सेवन करवाया गया, तो उन्हें तनाव को सहन करने की क्षमता मिली और लंबे समय तक घुमने में सक्षम रहे।
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