खर्राटे का इलाज और घरेलू उपाय – How to Stop Snoring in Hindi
क्या खर्राटे आने के पीछे कोई वैज्ञानिक कारण है ?
सोते वक्त सांस लेने के साथ जब तेज आवाज और वाइब्रेशन होती है उसे खर्राटे कहते है. खर्राटे की आवाज तब पैदा होती है, जब हवा का बहाव गले की त्वचा में स्थित ऊतकों में कंपन पैदा कर देता है. खर्राटे सांस अंदर लेते समय आते हैं. नाक या मुंह किसी से भी खर्राटों की आवाज आ सकती है. क्या आप जानतें है कि खर्राटे हेल्थ संबंधी परेशानियों की और इशारा भी करते हैं. इसको हमें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. कई बार खर्राटों की आवाज हलकी होती है तो कई बार तेज़. अगर खर्राटों का इलाज सही समय पे ना किया जाए तो स्लीप एप्निया हो सकता है. स्लीप एप्निया एक सामान्य विकार है जिसमें नींद के दौरान सांस में एक या कई अवरोध होते हैं या सांसें उथली हो जाती हैं. यह दीर्घकालीन स्थिति है जो आपकी नींद में बाधा डालती है.
आखिर ये खर्राटे क्या है……!
- सोते समय गले को पीछे का हिस्सा थोड़ा संकरा हो जाता है। ऐसे में ऑक्सीजन जब संकरी जगह से अंदर जाती है तो आस-पास के टिशु वायब्रेट होते हैं। और इस वायब्रेशन से होने वाली आवाज को ही खर्राटे कहते हैं।
- रात को सोते समय रोगी इतनी तेज आवाज निकालता है कि उसके पास सोना बिल्कुल मुश्किल हो जाता है।
- सर्दियों के दिनों में कुछ लोगो को खर्राटे ज्यादा आते है या फिर साइनस में संक्रमण के दौरान भी आते हैं. नाक के अंदर निकले छोटे-छोटे कणों के कारण भी वायुमार्ग में रुकावटें आ सकती हैं.
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- जब नाक की हड्डी टेढ़ी हो जाती है और उसमें मांस बढ़ जाता है तब भी सांस लेने में प्रेशर लगाना पड़ता है. जिस वजह से सांस लेने के साथ आवाज आती है और उसे खर्राटे कहते है.
- खर्राटे आने का कारण नीचे वाले जबड़े का छोटा होना भी हो सकता है. जब व्यक्ति का जबड़ा सामान्य से छोटा होता है तो लेटने पर उसकी जीभ पीछे की तरफ हो जाती है और सांस की नली को ब्लॉक कर देती है. ऐसे में सांस लेने और छोड़ने के लिए प्रेशर लगाना पड़ता है, जिस कारण वाइब्रेशन होता है और खर्राटे आते है.
- कई बार सांस लेने वाली नली संकरी और कमजोर हो जाती है, जिस कारण सांस लेते समय आसपास के टिश्यू वाइब्रेट होते हैं और सांस के साथ आवाज आने लगती है, जिसे खर्राटे कहते है.
- अगर किसी व्यक्ति की गर्दन छोटी होती है तब भी सोते समय सांस के साथ आवाज आती है.
- जब गले और जीब की मांसपेशियां कमजोर होने के कारण लटकने लगती हैं तो रास्ते में रुकावट आ जाती है. ऐसा अधिक एल्कोहॉल या नींद की गोलियां लेने के कारण होता है. साथ ही उम्र के बढ़ने से भी मांसपेशियों पर फर्क पड़ता है.
खर्राटे लेने के कई कारण हो सकते हैं जैसे, एलर्जी, नाक की सूजन, जीभ मोटी होना, अधिक धूम्रपान करना, शराब या नशीले पदार्थों का सेवन करना और रात को अधिक भोजन करना आदि। आइए जाने खर्राटे से बचने के तरीको के बारें में।
क्या आप जानते हैं कि शरीर में पानी की कमी से भी खर्राटे आते है। जब शरीर में पानी की कमी होती है तो नाक के रास्ते की नमी सूख जाती है। ऐसे में साइनस हवा की गति को श्वास तंत्र में पहुंचने के बीच में सहयोग नहीं कर पाता और सांस लेना कठिन हो जाता है। ऐसे में खर्राटे की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। इसलिए सेहतमंद और खर्राटों से दूर रहने के लिए दिनभर भरपूर पानी पीएं
अधिकतर मोटे लोग ही खर्राटों की समस्या के शिकार होते हैं। गले के आप-पास अधिक वसा युक्त कोशिकाएं जमा होने से गले में सिकुड़न होती है और खर्राटे की ध्वनि निकलती है। तो अगर आप भी खर्राटों से छुटकारा पाना चाहते हैं तो अपना वजन कम करने के उपाय करें।
नींद की गोलियों मांसपेशियों पर विपरीत प्रभाव डालती है। सोने के लिए अगर आप शराब, नींद की गोलियों या अन्य दवाईयों का इस्तेमाल करते है तो बंद कर देना चाहिए। क्योंकि इससे भी खर्राटे आते है।
नमक की अधिकता शरीर में ऐसे तरल पदार्थ का निर्माण करता है जिससे नाके के छिद्र में बाधा उत्पन्न होती है और खर्राटे आने लगते है। शोधकर्ता प्रोफेसर जिम हॉर्न के अनुसार, डाइट से नमक कम करके गले की भीतरी सूजन को कम करने में मदद मिलती है जिससे खर्राटे को रोकना आसान हो जाता है।
अगर आपको खर्राटे की समस्या है तो आपको सोते समय सिर को थोड़ा ऊंचा करके सोना चाहिए। ऐसा करने से खर्राटे की समस्या से बचा जा सकता है
पिपरमिंट का तेल
खर्राटों का मुख्य कारण नासिका के छिद्रों में आई हुई सूजन है। पुदीने में ऐसे गुण मौजूद होते हैं जो गले और नासाछिद्रों की सूजन को कम करने का काम करते हैं। इससे नाक का रास्ता खुल जाता है और सांस लेना आसान हो जाता है। सोने से पहले पिपरमिंट ऑयल की कुछ बूंदों को पानी में डालकर उससे गरारे कर लें। इस उपाय को कुछ दिन तक करते रहें। फर्क आपके सामने होगा।
ऑलिव ऑयल एक बहुत ही कारगर घरेलू उपाय है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो श्वसन तंत्र की प्रक्रिया को सुचारू बनाए रखने में मदद करते हैं। साथ ही यह दर्द को कम करने में मदद करता है। एक आधा छोटी चम्मच ऑलिव ऑयल में सामान मात्रा में शहद मिलाकर, सोने से पहले नियमित रूप से लें। गले में कंपन को कम करने और खर्राटों को रोकने के लिए नियमित रूप से इस उपाय का प्रयोग करें।
इलायची सर्दी खांसी की दवा के रूप में काम करती हैं। यानी यह श्वसन नली खोलने का काम करती है। इससे सांस लेने की प्रक्रिया सुगम होती है। रात को सोने से पहले इलायची के कुछ दानों को गुनगुने पानी के साथ मिलाकर पीने से समस्या से राहत मिलती है। सोने से पहले इस उपाय को कम से कम 30 मिनट पहले करें।
लहसुन, नासिका मार्ग में बलगम के निर्माण और श्वसन प्रणाली में सूजन को कम करने में मदद करता है। अगर आप साइनस रुकावट के कारण खर्राटे लेते हैं तो, लहसुन आपको राहत प्रदान करता है। लहसुन में हीलिंग गुण होते है। जो ब्लॉकेज को साफ करने के साथ ही श्वसन-तंत्र को भी बेहतर बनाते है। अच्छी और चैन की नींद के लिए लहसुन का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद है। एक या दो लहसुन की कली को पानी के साथ लें। इस उपाय को सोने से पहले करने से आप खर्राटों से राहत पा चैन की नींद ले सकते हैं।
हल्दी में एंटी-सेप्टिक और एंटी-बायोटिक गुणों के कारण, इसके इस्तेमाल से नाक का रास्ता साफ हो जाता है जिससे सांस लेना आसान हो जाता है। रात को सोने से पहले रोजाना हल्दी का दूध पीने से खर्राटों की समस्या से बचा जा सकता है।
इसमें ध्यान देने योग्य है कि जो घी लेना है वो सिर्फ भारतीय देशी गाय का ही लेना है ! इसका रंग थोडा पिला सा होता है, यह घी की पहचान है ! इस औषधि रूप घी का प्रयोग भी बहुत आसान है !जिस भी व्यक्ति को Snoring खर्राटों की समस्या है, तो उसको इस समस्या के लिए हमे एक चमच में थोडा देशी गाय का घी गर्म करना है ! और नोर्मल हो जाने पर इस की एक एक बूंद सोते समय रात को दोनों नाकों में डालनी है ! और इसका असर भी पहले ही दिन से देखने को मिलता है, आपकी Snoring खर्राटों की समस्या एक बार में समाप्त हो जाते हैं !
अगर आपको पुराना जुकाम, नया या पुराना साइनाइटिस, एलर्जी, आँखों की समस्या, समय से पहले बालों का झड़ना एवं सिरदर्द (आधा या पूरा) आदि की समस्याएँ रहती है तो निश्चित रूप से अणु तेल का प्रयोग करना काफी फायदेमंद होता है | साथ ही इसके उपयोग से आँख, नाक एवं गले की नशों को मजबूती मिलती है |
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